Tuesday 31 August 2021

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काबुल अफगानिस्‍तान में आतंकवाद के खिलाफ कभी न खत्‍म होने वाली जंग के लिए घुसे अमेरिकी सैनिक 19 साल और 8 महीने बाद वापस लौट चुके हैं। करीब 20 वर्षों तक चली की इस जंग में अमेरिका को न केवल शर्मनाक हार का मुंह देखना पड़ा है, बल्कि 2,461 सैनिकों तथा दो ट्रिल्‍यन डॉलर भी गंवाने पड़े हैं। अलकायदा के 9/11 हमले के बाद ओसामा बिन लादेन के खात्‍मे के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के अधिकारियों ने 19 सितंबर 2001 को पहली बार अफगानिस्‍तान की सरजमीं पर कदम रखा था। अब 30 अगस्‍त 2021 की आधी रात को आखिरी अमेरिकी सैनिक को भी शर्मनाक हार के बाद खाली हाथ चुपचाप निकलना पड़ा है। अमेरिकी युद्ध की ये दोनों ही तस्‍वीरें इस बात की गवाह हैं कि कैसे एक और सुपरपावर महाशक्तियों की कब्रगाह कहे जाने वाले अफगानिस्‍तान में ढेर हो गया और उसे उल्‍टे पांव भागना पड़ा है। अमेरिका के अफगानिस्‍तान मिशन की शुरुआत 19 सितंबर, 2001 को हुई। अमेरिकी सेना की इस तस्‍वीर में दिखाई दे रहा है कि सीआईए के अधिकारी रूस निर्मित एमआई-17 हेलिकॉप्‍टर में बैठकर उज्‍बेकिस्‍तान के रास्‍ते अफगानिस्‍तान में घुसे थे। 3 मिलियन डॉलर नकद लेकर गए थे सीआईए एजेंट द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक ये सीआईए के ऑपरेटिव भारी हथियारों और विस्‍फोटकों से लैस थे। इन सीआईए अधिकारियों को रस्‍से से बांधा गया था ताकि अगर उड़ान के दौरान वे फ‍िसले तो गिरे नहीं। ये अमेरिकी 9/11 हमले के ठीक 8 दिन बाद अफगानिस्‍तान पहुंच गए थे। सीआईए के मुताबिक वे उस दौरान 3 मिलियन डॉलर नकद लेकर गए थे। इस पैसे को तीन बक्‍शों में भरा गया था। इस पैसे को नॉर्दन एलायंस को दिया जाना था ताकि तालिबान के खिलाफ जंग को तेज किया जा सके और स्‍थानीय वॉरलार्ड को खरीदा जा सके। यह अमेरिका के अफगानिस्‍तान में सैन्‍य मिशन की शुरुआत थी। 26 सितंबर 2001 को सीआईए के अधिकारी कबायली वॉरलार्ड से मुलाकात करने के लिए अफगानिस्‍तान के लिए उड़े थे। तालिबानी नॉर्दन एलायंस का विरोध करते थे। क‍बायली नेताओं को खरीदने के लिए अमेरिका ने करोड़ों रुपये उन्‍हें दिए ताकि तालिबान के खिलाफ जंग को शुरू किया जा सके। इस ऑपरेशन को 'जॉब्रेकर' नाम दिया गया था। इसमें अमेरिकी सेना के विशेष बल, हवाई ताकत, नॉर्दन एलायंस के लड़ाके शामिल थे। तालिबान के खिलाफ 20 साल तक चली इस जंग के बाद आखिरी अमेरिकी सैनिक की भी अफगानिस्‍तान से वापसी हो गई है। विडंबना देख‍िए जिस तालिबान के खिलाफ अमेरिका ने जंग लड़ा, उसी को अमेरिकी सेना को सत्‍ता सौंपनी पड़ी है। अफगानिस्‍तान की जमीन से सबसे आख‍िरी में अमेरिकी सेना के 82वें एयरबॉर्न डिविजन के जनरल क्रिस्‍टोफर दोनोहुये रवाना हुए थे। अब उनकी तस्‍वीर दुनियाभर में वायरल हो गई है। उनकी वापसी के साथ ही अब अमेरिका का अफगानिस्‍तान मिशन खत्‍म हो गया है। अफगानिस्‍तान की महाजंग में अमेरिका ने क्‍या खोया अफगानिस्‍तान की इस महाजंग में अमेरिका ने अपने 2,461 सैनिक और 3,846 अमेरिकी कॉन्‍ट्रैक्‍टरों को खो दिया। इस जंग में अफगान नैशनल मिल‍िट्री और पुलिस के 66 हजार जवान मारे गए। इसके अलावा अमेरिका के सहयोगी नाटो देशों के 1,144 सैनिक अपनी जान गंवा दिए। इसके अलावा तालिबान के भी 51 हजार से भी ज्‍यादा लड़ाके भी नाटो के हमले में ढेर हो गए। इस भीषण जंग में 72 पत्रकार भी मारे गए।


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