
यंगून लद्दाख में आंखें दिखा रहे चीन ने अपनी स्ट्र्रिंग ऑफ पर्ल नीति के तहत भारत की चौतरफा घेरेबंदी तेज कर दी है। इसी कड़ी में चीन ने पहली बार भारत का प्रभाव क्षेत्र कहे जाने वाले हिंद महासागर तक अपनी पहली ट्रेन दौड़ा दी है जो सड़क मार्ग से जुड़ी है। नई नवेली रेलवे लाइन के जरिए सामान लेकर यह ट्रेन म्यांमार सीमा से पश्चिमी चीन के चेंगदू व्यवसायिक हब तक रवाना हुई है। इस रोड-रेललाइन की मदद से चीन की अब सीधी पहुंच बंगाल की खाड़ी तक हो गई है। चीन की सरकारी न्यूज सर्विस के मुताबिक प्रयोग के तौर पर सामान को चाइना-म्यांमार न्यू पैसेज के जरिए 27 अगस्त को चेंगदू रेल पोर्ट तक लाया गया है। इस ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर में समुद्री-रोड रेल लिंक शामिल है। सिंगापुर से चीन का सामान अंडमान सागर से होते हुए मालवाहक जहाज के जरिए म्यांमार के यंगून बंदरगाह तक पहुंचा था। इसके बाद सामान को सड़क के जरिए म्यांमार-चीन सीमा पर यूनान प्रांत के लिकांग तक पहुंचाया गया। दक्षिणी-पश्चिमी चीन को कनेक्ट करने का सबसे आसान रास्ता इसके बाद सामान को लिकांग से रेलवे के जरिए चेंगदू तक ले जाया गया। इस तरह से चीन अब सिंगापुर से म्यांमार के रास्ते भी जुड़ गया है। चीनी रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हिंद महासागर से दक्षिणी-पश्चिमी चीन को कनेक्ट करने का सबसे आसान रास्ता है। चीन ने कहा कि इस रास्ते के इस्तेमाल से एक तरफ यात्रा में 20 से 22 दिन कम लग रहे हैं। चीन की म्यांमार के अशांत रखाइन राज्य में क्याउकफयू में एक और बंदरगाह बनाने की योजना है। यही नहीं चीन इस बंदरगाह तक यूनान से सीधी रेलवे लाइन बनाना चाहता है लेकिन म्यांमार में हिंसा के कारण चीन की इस परियोजना में देरी हो रही है। चीन अभी पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के जरिए हिंद महासागर से जुड़ने पर काम कर रहा है। इससे वह मलक्का स्ट्रेट में अपने दुश्मनों के घेरे जाने के खतरे से बच जाएगा। ग्वादर पोर्ट को सीपीईसी के तहत बनाया जा रहा है। हालांकि अगर चीन चेंगदू के लिए म्यांमार के रास्ते व्यापार करता है तो उसका खर्चा ग्वादर के मुकाबले कम आएगा। चीन की बंगाल के खाड़ी तक सीधी पहुंच भारत के लिए बड़ा खतरा म्यांमार की सीमा से चीन के चेंगदू शहर तक ट्रेन के पहुंचने में मात्र 3 दिन का समय लगता है। म्यांमार की इरावटी न्यूज वेबसाइट के मुताबिक यह पश्चिमी चीन को हिंद महासागर से जोड़ने का पहला रास्ता है। चीन की रेलवे लाइन अभी म्यांमार की सीमा तक आकर खत्म हो जाती है। अब इसे चीन बंदरगाह तक बढ़ाना चाहता है। चीन म्यांमार के सीमाई कस्बे चिन श्वे हाव को बेल्ट एंड रोड परियोजना के जरिए 'बॉर्डर इकनॉमिक जोन' के रूप में बदलना चाहता है। विश्लेषकों के मुताबिक चीन की बंगाल के खाड़ी तक सीधी पहुंच भारत के लिए बड़ा खतरा है। चीन जिस रास्ते से दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों के साथ व्यापार करना चाहता है, उसी रास्ते में अंडमान निकोबार द्वीप समूह भी आते हैं। चीन के जहाज आगे चलकर बड़े पैमाने में बंगाल की खाड़ी से गुजरेंगे। इससे वे आसानी से भारतीय द्वीपों पर नजर रख सकते हैं। यही नहीं चीन की बढ़ती पहुंच से पूर्वोत्तर भारत में भी संकट बढ़ सकता है जहां विद्रोही अक्सर हमले करते रहते हैं।
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