प्योंगयांग उत्तर कोरिया भीषण खाद्य संकट से जूझ रहा है। आलम यह है कि उत्तर कोरिया के लोग चावल के एक-एक दाने को लेकर तरस रहे हैं। ऐसे में तानाशाह शासक किम जोंग उन के सामने देश की जनता का पेट भरने की सबसे बड़ी चुनौती है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया कोरोना सकंट के बाद इस बार सर्दियों में भयंकर खाद्य संकट में फंस गया है। आलम यह है कि पूरे देश में भूखमरी के हालात बनते जा रहे हैं। उत्तर कोरिया में क्यों पैदा हुआ खाद्य संकट? 1. कोविड: पिछले दो साल से वैश्विक महामारी कोविड के चलते किम जोंग उन ने उत्तर की सारी सीमाएं बंद कर रखी है। तानाशाह ने अपने देशवासियों को कोविड से बचाने के लिए दूसरे देशों के साथ तमाम आवागमन पर रोक लगा दी है। इस बंदी को लागू करने के साथ किम ने कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं चुना है, जिसके चलते यहां दूसरे देशों के लोगों का आवागमन पूरी तरह ठप है। यहां तक कि उत्तर कोरिया ने अपने मुख्य बिजनेस पार्टनर चीन के साथ भी आवागमन बंद कर दिए हैं। 2. जलवायु परिवर्तन: उत्तर कोरिया में भीषण सर्दी होती है, जिसके चलते यहां कुछ महीने खेतों में कुछ भी उपजाना बेहद मुश्किल होता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि पहले से ही खाद्य संकट से जूझ रहे उत्तर कोरिया के लोगों के लिए इस बार की सर्दी भूखमरी के हालात लेकर आएगी। जलवायु परिवर्तन का भी उत्तर कोरिया की खेती पर गहरा प्रभाव हुआ है। पिछले साल आए बाढ़ से भी उत्तर कोरिया में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। जलवायु परिवर्तन के चलते उत्तर कोरिया के पश्चिमी तट पर धान और मक्के की खेती करना बेहद मुश्किल हो गया है। यहां बता दें कि यह इलाका उत्तर कोरिया के लिए खाद्यान का कटोरा माना जाता है। बेमौशम बरसात से भी धान की फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है। किम जोंग उन ने खुद स्वीकार किया है कि उनके देश में खाद्य संकट है। उन्होंने यह भी आदेश दिया है कि अनाज का एक भी दाना बर्बाद ना हो। डेली एनके के संपादक ली सैंग योंग ने बताया कि उत्तर कोरिया में खाद्य संकट अपेक्षा से कहीं ज्यादा बदत्तर है। किम जोंग उन ने जून में विशेष आदेश दिया था उसके बाद भी देश में खाद्य आपूर्ति ठीक से नहीं हो रही है। उत्तर कोरिश में भूखमरी टालने का क्या है विकल्प जानकार मानते हैं कि इस वक्त किम जोंग उन अगर को कंट्रोल करना चाहते हैं तो उन्हें तत्काल चीन से मदद लेनी चाहिए। केवल चीन ही एक मात्र ऐसा पडोसी देश है जो उत्तर कोरिया की मदद करने में सक्षम है। यहां बता दें कि उत्तर कोरिया पहले भी चीन से मुश्किल हालात में मदद लेता रहा है। भूखमरी के हालात को देखते हुए किम जोंग उन ने चीन के साथ खाद्य सामग्री के आयात की इजाजत धीरे-धीरे शुरू करने का आदेश दिया है। 'फसल चोरों' को गोली मारने का आदेश खाद्य संकट से जूझ रहे देश में तानाशाह शासक किम जोंग उन ने फसल चोरों को गोली मारने का आदेश दिया है। खाने की कमी से जूझ रहे भूखे लोग खेतों से फसल चुराने के लिए मजबूर हैं। इस चोरी को रोकने के लिए अधिकारियों ने फसल चोरों को देखते ही गोली मार देने का आदेश जारी कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक खेतों की रक्षा के लिए सैन्य इकाइयां तैनात कर दी गई हैं। रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक एक सरकारी गोदाम से एंटी-बायोटिक्स की आपातकालीन सप्लाई की चोरी की जांच के बीच फसल चोरी रोकने की मुहिम तेज हुई है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उत्तर कोरिया ने जनवरी 2020 में चीन के साथ व्यापार को निलंबित कर दिया था। उत्तर कोरिया और चीन सीमा लंबे समय से बंद है जिसके चलते देश में खाने-पीने की चीजों की कमी हो गई है। जिसका परिणाम यह हुआ कि इस साल उत्तर कोरिया में कई लोगों ने भूख से दम तोड़ दिया। सेना को चोरी रोकने के लिए घातक बल का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत किया गया है। सूत्र ने बताया कि किसी भी घुसपैठिये को सरकारी व्यवस्था के 'खिलाफ' माना जाएगा और उसे बिना किसी चेतावनी के गोली मार दी जाएगी। इस आदेश के बाद खेतों के पास रहने वाले निवासियों में तनाव पैदा हो गया है। लोग डरे हुए हैं कि अगर वे गलती से खेत चले गए तो उन्हें बिना किसी चेतावनी के गोली मार दी जाएगी। बता दें कि किम जोंग उन देश के खजाने का अधिकतम रकम सैन्य शक्ति पर खर्च करते हैं। वह उत्तर कोरिया को परमाणु शक्ति बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। वहीं वह जनहित और नागरिक सुरक्षा के ऊपर खास ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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