नई दिल्ली ब्रिटेन के ग्लासगो में 26वां यूएन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस (COP-26) चल रहा है। इस वजह से दुनियाभर में ग्लोबल वॉर्मिंग, क्लाइमेट चेंज, कार्बन उत्सर्जन, पर्यावरण सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण जैसे शब्द सुर्खियों में हैं। दुनियाभर के देश धरती को बचाने की कसम खा रहे हैं। नेट-जीरो एमिशन के लिए टारगेट तय कर रहे हैं। लेकिन मंगलवार को जारी हुई क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स पर्यावरण सुरक्षा को लेकर दुनियाभर के देश कितने गंभीर हैं, इसकी कलई खोल रही है। टॉप-3 पायदान ही खाली हैं। कोई भी देश मानकों पर पूरी तरह खरा नहीं ग्लासगो में चल रहे COP-26 से इतर मंगलवार को जर्मन वॉच की तरफ से क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स (CCPI) जारी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी देश ने पर्यावरण सुरक्षा के मोर्चे पर मानकों के हिसाब से पर्याप्त काम नहीं किया। एक बार फिर रैंकिंग में शीर्ष-3 पायदान खाली पड़े रहे। पर्यावरण सुरक्षा के लिए दुनिया में मिसाल माने जाने वाले नॉर्डिक देश (स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे) भी मानकों पर खरे नहीं उतर सके। टॉप-10 में भारत सीसीपीआई रैंकिंग के मुताबिक, डेनमार्क दुनियाभर के देशों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ चौथे पायदान पर है। पांचवें पर स्वीडन, छठे पर नॉर्वे, सातवें पर ब्रिटेन, आठवें पर मोरक्को, नौवें पर चिली और दसवें पर भारत है। पर्यावरण सुरक्षा के मोर्चे पर अमेरिका, चीन से काफी आगे भारत क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स में लगातार तीसरे साल भारत टॉप-10 में शामिल है। 2020 में भी वह दसवें पायदान पर था जबकि 2019 में अपने सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग के साथ नौवें पायदान पर था। 2015 में 31वें पायदान से टॉप 10 में आना निश्चित तौर पर बहुत बड़ी कामयाबी है। इतना ही नहीं, यह अमेरिका और चीन से काफी आगे। अमेरिका CCPI रैंकिंग में 55वें पायदान पर है। वहीं आज दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला चीन 37वें पायदान पर है। पिछले साल वह 33वें पायदान पर था।
from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3C1AeBz
via IFTTT
No comments:
Post a Comment