इस्लामाबाद ने मंगलवार को कहा कि सरकार हिंसा छोड़कर संविधान को अपनाने के इच्छुक आतंकियों को एक मौका देना चाहती है। चौधरी ने यहां एक कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से यह बात कही। बैठक में, देश में वर्तमान सुरक्षा हालात समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित संगठन तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से संबद्ध कुछ समूह हिंसा छोड़ना चाहते हैं और सरकार भी उन्हें सामान्य जीवन में लौटने का एक मौका देना चाहती है। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने एक दिन पहले सांसदों को राष्ट्रीय सुरक्षा हालात के बारे में जानकारी दी थी। चौधरी ने सोमवार को कहा था कि सरकार और प्रतिबंधित संगठन के बीच संघर्षविराम समझौता हुआ है। प्रमुख आतंकवादी संगठन से संघर्षविराम की घोषणा की बता दें कि दो दिन पहले ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने पिछले 14 वर्षों में सुरक्षा बलों और आम नागरिकों पर कई हमलों के जिम्मेदार एक प्रमुख आतंकवादी संगठन के साथ एक महीने के संघर्ष विराम की घोषणा की है। सरकार के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने ट्विटर पर कहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने प्रधानमंत्री इमरान खान और ‘तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान’ या टीटीपी के बीच संघर्ष विराम को कायम करने में मदद की। एक बयान में, टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने पुष्टि की कि नौ नवंबर से शुरू होने वाला संघर्ष विराम नौ दिसंबर तक रहेगा, जिसके दौरान दोनों पक्ष बातचीत जारी रखने के लिए एक समिति बनाएंगे। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष संघर्ष विराम का पालन करेंगे। सरकार और टीटीपी के बीच पिछले महीने शुरू हुई शांति वार्ता के बीच यह समझौता हुआ। चौधरी ने कहा कि अगर वार्ता आगे बढ़ती रही तो संघर्ष विराम को बढ़ाया जा सकता है।
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