Tuesday, 21 December 2021

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काबुल पाकिस्‍तानी सेना और तालिबान के बीच अफगानिस्‍तान-पाकिस्‍तान को अलग करने वाली डूरंड लाइन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। डूरंड लाइन पर बाड़ लगा रहे पाकिस्‍तानी सेना को तालिबान ने जंग की धमकी दी है। तालिबान ने यह भी कहा कि हम यहूदियों से ज्‍यादा पाकिस्‍तानी सेना से जंग लड़ना पसंद करेंगे। तालिबान ने डूरंड लाइन पर लगाए गए बाड़ को ध्‍वस्‍त कर दिया। तालिबान की स्‍पेशल फोर्स का नेतृत्‍व पूर्वी नांगरहार प्रांत के खुफिया प्रमुख डॉक्‍टर बशीर ने किया। तालिबानी सैनिकों ने कहा कि पाकिस्‍तानी सैनिक अफगान जमीन के अंदर बाड़ लगा रहे हैं। सोशल मीडिया में बशीर का एक वीडियो काफी शेयर किया जा रहा है। इसमें बशीर डूरंड लाइन पर मौजूद पाकिस्‍तानी सैनिकों से धमकी दे रहा है कि अगर तुम लोगों ने सीमा को पार किया तो हमारे साथ युद्ध के लिए तैयार रहो। हम यहूदियों से ज्‍यादा तुम्‍हारे साथ युद्ध लड़ना पसंद करेंगे। तालिबान शुरू से करता है डूरंड लाइन का विरोध बता दें कि डूरंड लाइन पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा को कहा जाता है। अफगान की पूर्ववर्ती सरकार और तालिबान भी डूरंड लाइन का लंबे समय से विरोध करते रहे हैं। इस हफ्ते के शुरुआत में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान में एक पश्तो चैनल से कहा था कि अफगान डूरंड रेखा पर पाकिस्तान की बनाई गई बाड़ का विरोध करते हैं। अफगानिस्तान के बहुसंख्यक पश्तून और तालिबान ने कभी भी डूंरड लाइन को आधिकारिक सीमा रेखा नहीं माना है। जबिउल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि नई अफगान सरकार इस मुद्दे पर अपनी स्थिति की घोषणा करेगी। पाकिस्तान की बनाई बाड़ ने लोगों को अलग कर दिया है और परिवारों को विभाजित कर दिया है। हम सीमा पर एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल बनाना चाहते हैं, इसलिए अवरोध पैदा करने की कोई जरूरत नहीं है। ब्रिटिश-सोवियत संघ ग्रेट गेम की विरासत है डूरंड लाइन डूरंड रेखा रूसी और ब्रिटिश साम्राज्यों के बीच 19वीं शताब्दी के ग्रेट गेम की एक विरासत है। तब पूर्व में रूसी विस्तारवाद से बचने के लिए भयभीत ब्रिटिश साम्राज्य ने अफगानिस्तान को एक बफर जोन के रूप में इस्तेमाल किया था। 12 नवंबर, 1893 को ब्रिटिश सिविल सर्वेंट सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड और उस समय के अफगान शासक अमीर अब्दुर रहमान के बीच डूरंड रेखा के रूप में प्रसिद्ध समझौता हुआ था। कैसे बनी डूरंड लाइन, जानें कहानी दूसरे अफगान युद्ध की समाप्ति के दो साल बाद 1880 में अब्दुर रहमान अफगानिस्तान के राजा नियुक्त किए गए। इस युद्ध में ब्रिटिश फौज ने अफगानिस्तान साम्राज्य के बहुत बड़े हिस्से पर अपना अधिकार कर लिया था। अब्दुर रहमान को अंग्रेजों ने अपनी इच्छा से राजा बनाया। जिसके बाद 1893 में सर डूरंड के साथ उनके समझौते ने भारत के साथ अफगान सीमा पर उनके और ब्रिटिश भारत के प्रभाव के क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण किया गया। तब वर्तमान पाकिस्तान भी भारत में ही शामिल था।


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