इस्लामाबाद पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंचे तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने इमरान खान सरकार को बड़ा झटका दिया है। मुत्ताकी ने कहा कि अफगान जमीन पर कोई भी पाकिस्तान विरोधी तत्व मौजूद नहीं है। तालिबानी विदेशी मंत्री का बयान पाकिस्तान के उस दावे के ठीक उलट है जिसमें इमरान सरकार आरोप लगाती रहती है कि टीटीपी और बलूच विद्रोही अफगानिस्तान में रहते हुए पाकिस्तान में हमले कर रहे हैं। मुत्ताकी ने शुक्रवार को इमरान खान से मुलाकात के बाद आश्वासन दिया कि वे अफगान जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ न हो, इसके लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं। तालिबानी विदेश मंत्री 20 सदस्यीय दल के साथ पाकिस्तान के दौरे पर आए हैं। अफगान विदेश मंत्री ने इस बात की पुष्टि की कि उनकी सरकार ने सैकड़ों पाकिस्तानी बच्चों की जान लेने वाले तहरीक-ए-तालिबान और इमरान सरकार के बीच बातचीत शुरू कराई है। सिराजुद्दीन हक्कानी की भूमिका पर साधी चुप्पी तालिबानी मंत्री ने यह नहीं बताया कि आईएसआई का पालतू और अफगानिस्तान का गृहमंत्री बना सिराजुद्दीन हक्कानी इस बातचीत में क्या भूमिका निभा रहा है। सिराजु्द्दीन हक्कानी नेटवर्क का मुखिया है और तालिबान की जीत के लिए उसने भारी हिंसा की थी। इससे पहले पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ऐलान किया था कि टीटीपी और सरकार के बीच सीजफायर पर सहमति बन गई है। तालिबानी विदेश मंत्री ने आशा जताई कि टीटीपी और इमरान सरकार के बीच बातचीत को बढ़ाया जा सकता है और दोनों के बीच सीजफायर का स्वागत किया। उसने भी यह भी दावा किया कि अफगानिस्तान में हेल्थ सेक्टर में सभी महिला कर्मचारी वापस आ गई हैं। इससे पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने टीटीपी के साथ बातचीत करने पर इमरान खान को जमकर फटकार लगाई थी। पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला करके 132 मासूम बच्चों की जान लेने वाले टीटीपी पर कोर्ट ने इमरान खान से सवाल किया कि नरसंहार के दोषियों के साथ बातचीत क्यों कर रहे हैं। 'क्या हम आतंकियों के आगे आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं ?' पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने इमरान खान से सवाल किया, 'क्या हम आतंकियों के आगे फिर से आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं?' हम उनके खिलाफ ऐक्शन लेने की बजाय उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। वह भी तब जब हमारे पास दुनिया की 6वीं सबसे बड़ी सेना है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को बुधवार को इस तरह के कई सवालों का सामना करना पड़ा। अदालत ने सरकार को उस भीषण हमले में सुरक्षा विफलता की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक महीने का समय दिया है जिसमें 16 दिसंबर, 2014 को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों ने पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला कर 147 लोगों की जान ले ली थी।
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