कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे भारत को सुपर पावर अमेरिका से लेकर छोटे से देश मॉरिसश तक ने बड़ी तादाद में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर, दवाएं आदि मदद के रूप में दी हैं। महासंकट की इस घड़ी में जिस देश से जो बन पा रहा है, वह भारत की मदद कर रहा है। इस बीच अफ्रीकी देश केन्या ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया और 12 टन चाय, कॉफी और मूंगफली भारत को दान में दिया। केन्या के उच्चायुक्त विली बेट ने कहा कि यह दान अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले लोगों को दिए जाने के लिये है, जो लोगों की जान बचाने के लिए घंटों काम कर रहे हैं। केन्या ने कहा कि इस मदद से ऐसे लोगों को 'तरोताजा करने वाला ब्रेक' मिलेगा और वे पूरे उत्साह से लोगों की जिंदगियां बचा सकेंगे। केन्या की मदद का सोशल मीडिया में काफी मजाक उड़ाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कोरोना को काबू में करने में असफल रहे भारत को अब चाय और मूंगफली ही दान लेना बचा था। सोशल मीडिया पर उड़ रहे मजाक से उलट हमें एक गरीब देश केन्या से मिली मदद को 'अनमोल' मानना चाहिए। आइए समझते हैं कि क्यों हमें दान नहीं बल्कि दानी का दिल देखना चाहिए....Kenya Covid 19 Relief India: केन्या के भारत को चाय, कॉफी और मूंगफली दान करने पर सोशल मीडिया में खूब मजाक उड़ाया जा रहा है। हालांकि हकीकत इससे उलट है। केन्या के लोगों का यह प्यार ही है कि वे सुपरपावर अमेरिका को 14 गाय दान दे चुके हैं। आइए जानते हैं पूरी कहानी....

कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे भारत को सुपर पावर अमेरिका से लेकर छोटे से देश मॉरिसश तक ने बड़ी तादाद में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर, दवाएं आदि मदद के रूप में दी हैं। महासंकट की इस घड़ी में जिस देश से जो बन पा रहा है, वह भारत की मदद कर रहा है। इस बीच अफ्रीकी देश केन्या ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया और 12 टन चाय, कॉफी और मूंगफली भारत को दान में दिया। केन्या के उच्चायुक्त विली बेट ने कहा कि यह दान अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले लोगों को दिए जाने के लिये है, जो लोगों की जान बचाने के लिए घंटों काम कर रहे हैं। केन्या ने कहा कि इस मदद से ऐसे लोगों को 'तरोताजा करने वाला ब्रेक' मिलेगा और वे पूरे उत्साह से लोगों की जिंदगियां बचा सकेंगे। केन्या की मदद का सोशल मीडिया में काफी मजाक उड़ाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कोरोना को काबू में करने में असफल रहे भारत को अब चाय और मूंगफली ही दान लेना बचा था। सोशल मीडिया पर उड़ रहे मजाक से उलट हमें एक गरीब देश केन्या से मिली मदद को 'अनमोल' मानना चाहिए। आइए समझते हैं कि क्यों हमें दान नहीं बल्कि दानी का दिल देखना चाहिए....
केन्या की मसाई जनजाति ने अमेरिका को दान दी थी 14 गाय

आतंकवादी संगठन अलकायदा के अमेरिका पर 11 सितंबर को किए गए सबसे भीषण हमले के बाद पूरी दुनिया हिल सी गई थी। अमेरिका के साथ एकजुटता दिखाने के लिए ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने अलकायदा से निपटने के लिए अफगानिस्तान में अपनी सेना भेज दी थी। इस महासंकट के बीच केन्या की मसाई जनजाति ने अमेरिका के लोगों से सहानुभूति जताने के लिए 14 गाय दान में दी थी। इन गायों को लेने के लिए खुद अमेरिकी दूतावास के तत्कालीन उप प्रमुख विलियम ब्रानकिक पहुंचे थे। विलियम ने कहा कि मैं जानता हूं कि मसाई लोगों के लिए गाय सबसे महत्वपूर्ण चीज है। उन्होंने कहा कि गाय का दान देना मसाई लोगों की अमेरिका जनता के प्रति सर्वोच्च सहानुभूति और परवाह को दर्शाता है। तंजानिया की सीमा पर बसे केन्या के गांव में आयोजित इस कार्यक्रम में मसाई लोगों ने अपने हाथों में तख्ती ले रखा था। इसमें लिखा, 'अमेरिका के लोगों के लिए, हम ये गायें दान कर रहे हैं ताकि आपकी मदद हो सके।' मसाई लोग बिना बिजली और टेलिफोन के रहते थे और उन्हें काफी समय तक 9/11 हमले के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। उन्हें यह भी नहीं पता था कि इतनी ऊंची इमारतें भी होती हैं।
अमेरिका ने मसाई लोगों के दान को दिया पूरा सम्मान

अमेरिका ने मसाई लोगों के इस दान को पूरा सम्मान दिया और गायों का दान लेते समय अपना राष्ट्रीय गान बजाया था। इन गायों को अमेरिका नहीं ले जाया जा सका और उन्हें स्थानीय बाजार में बेच दिया गया। इस पैसे मनके खरीदे गए। मसाई लोगों की कलाकृतियों को न्यूयॉर्क में डिस्प्ले के लिए रखा गया। यही नहीं गाय दान करने की खबर ने अमेरिकी लोगों का भी दिल छू लिया और उन्होंने मसाई लोगों को धन्यवाद दिया। यही नहीं न्यूयॉर्क के कुछ लोगों ने सरकार से यहां तक मांग कर दी कि उन्हें दान की हुई गाय ही चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें जो चीजें दान में मिली हैं, उनमें गाय सबसे अद्भुत है। इस तरह का दान अब तक किसी और ने नहीं भेजा है। उन्होंने कहा कि अगर मसाई लोग जूलरी देना चाहते तो वह दे सकते थे लेकिन वे चाहते थे कि हमारे यहां गाय हो। उन्होंने कहा कि हमें गाय को लाना चाहिए था और फिर उनके बच्चे होने पर फिर से मसाई लोगों को गिफ्ट कर देना चाहिए था। पूरे अमेरिका में मसाई लोगों के गाय दान करने की जमकर प्रशंसा हुई।
गाय की रक्षा के लिए शेर से लड़ जाते हैं मसाई लोग

तंजानिया में तैनात वाराणसी के भूगर्भ वैज्ञानिक रत्नेश पांडे के मुताबिक अफ्रीका के केन्या और तंजानिया में पाई जाने वाली मसाई जनजाति पिछले पांच हजार साल से पुरातन तौर-तरीकों के साथ रह रही हैं। यही नहीं, ये आज भी उसी तरह के पर्यावरण और माहौल में रहने की अभ्यस्त हैं। इन समूहों का मुख्य पेशा गायों का पालन है और इसी के इर्द-गिर्द इनकी अर्थव्यवस्था घूमती है। यहां तक कि ये बहादुर लोग जंगलों में अपनी गायों की रक्षा के लिए जंगली शेर और चीते जैसे खूंखार जानवरों से भी लड़ जाते हैं। बिना किसी हथियार के इन खूंखार जानवरों को मार डालते हैं। अफ्रीकन मसाई जनजाति के लोग बहुत बहादुर होते हैं। ये लोग कभी-कभी बिना किसी हथियार के ही जंगली शेरों को मार गिराते हैं। कई बार मसाई योद्धा भूखे होने पर शेरों के मुंह से उसका निवाला भी छीन लेते हैं। अकसर जंगल मे मसाई जनजाति के योद्धा जंगली शेरों पर नजर रखते हैं और जब कोई शेर या शेरों का समूह किसी जंगली भैंस, जिराफ, हाथी आदि का शिकार करता है तो मसाई योद्धा उन शेरों को भगा देते हैं और शेरों के उस निवाले को उठा ले जाते हैं। अपने समुदाय में उसका बंटवारा कर देते है।
शादी का वादा...बिना हथियार करते हैं शेर का शिकार

मसाई लोगों के रीति-रिवाज भी बहादुरी पर ही आधारित हैं। इस जनजाति के उन्हीं पुरुषों को लोग अपनी बेटियां शादी के लिए सौंपते हैं जो जंगलों में जाकर बिना किसी हथियार के कम से कम एक शेर का खात्मा करते हैं। हालांकि, आजकल सरकार इनके इलाकों में जाकर इन्हें शिक्षित कर रही है कि ये लोग परंपरा के नाम पर जंगली जानवरों की हत्या ना करें। इससे अब काफी हद तक इस प्रथा पर अंकुश लग चुका है। अभी भी विवाह के लिए लड़का पक्ष कम से कम 30 गायों को लड़की पक्ष को उपहार के तौर पर देता है। उसके बाद ही लड़की पक्ष वाले अपनी लड़की का विवाह लड़केवाले के परिवार में करते हैं। मसाई जनजाति की औरतें अपनी कमर के नीचे के हिस्से को कपड़े से ढकती हैं लेकिन कमर का ऊपरी हिस्सा खुला रहता है। ये महिलाएं जब अपनी सखी-सहेलियों से मिलती हैं तो वे एक-दूसरे पर थूकती हैं। यह खास तरीका उनकी संस्कृति में प्यार और सम्मान जताने का प्रतीक होता है। सिर्फ यही नहीं, यहां के लोग नवजात बच्चों को आशीर्वाद भी थूककर ही देते हैं। बेटियों की शादी में पिता उनके माथे पर थूकते हैं। आमतौर पर लोग भी हाथ पर थूकने के बाद सामने वाले से हाथ मिलाते हैं।
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लद्दाख के गलवान वैली में जून 2020 में चीनी के सेना के साथ हुई झड़प के बाद से अबतक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर एक असहज शांति बनी हुई है। अभी भी भारत चीन सीमा पर कई ऐसे पॉइंट्स मौजूद हैं, जहां भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने डटी हुई हैं। उधर, लद्दाख के इस अशांत इलाके में जैसे-जैसे बर्फ पिघल रही है, वैसे-वैसे चीनी सेना अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। पिछले साल ठंड की शुरूआत में दोनों देशों की सेनाओं ने कोर कमांडर मीटिंग में बनी सहमति के बाद पैंगोंग त्सो झील के दोनों किनारों से अपने-अपने सैनिकों को हटा लिया था। इस झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना को महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त हासिल थी। भारत ने तब उम्मीद की थी कि शायद चीन गोगरा-हॉटस्प्रिंग, डेपसांग और डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस बुला ले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब एलएसी पर चीनी सेना की फिर से बढ़ती गतिविधियों ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है। जिसके बाद भारत ने भी के-9 वज्र जैसे कई अत्याधुनिक हथियारों को इस क्षेत्र में तैनात कर दिया है। जानिए भारतीय सेना के हथियारों के सामने चीन की क्या है तैयारी?






अमेरिका और चीन इन दिनों अंतरिक्ष की दुनिया में एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहे हैं। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में ही चीन ने अपने स्वदेशी स्पेस स्टेशन के लिए पहला मॉड्यूल रवाना किया था। माना जा रहा है कि चीन इस स्टेशन के जरिए अंतरिक्ष में अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देना चाहता है। इतना ही नहीं, यह दोनों देश अब चंद्रमा को लेकर भी एक दूसरे से कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। चीन ने बीते एक दशक में चंद्रमा पर चार बार से अधिक सफलतापूर्वर लैंडिंग कर अपना परचम फहराया है। वहीं, अमेरिका इकलौता ऐसा देश है, जिसने चांद पर इंसान को उतारा है। 14 दिसंबर, 1972 को नासा के अंतरिक्ष यात्री यूजीन सर्नन ने अपोलो 17 के लूनर मॉड्यूल चैलेंजर में बैठकर चंद्रमा की सतह से धरती के लिए उड़ान भरी थी। तब से लेकर अबतक किसी भी देश ने चंद्रमा पर इंसान को नहीं भेजा है। अब चीन इस तैयारी में जुटा है कि वह अपने स्पेस स्टेशन के ऐक्टिव होते ही चंद्रमा पर अंतरिक्षयात्रियों को भेजने का मिशन शुरू करेगा। ऐसा नहीं है कि केवल चीन ही चांद पर इंसानों को भेजना चाहता है, बल्कि इस दौड़ में अमेरिका, रूस, भारत कनाडा और दक्षिण कोरिया भी जी-जान से जुटे हुए हैं।




भारतीय बैंकों से करीब 13500 करोड़ रुपये 'लूटकर' फरार चल रहे अरबपति हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी पर भारत सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। मेहुल चोकसी कैरिबियाई देश डोमिनिका के एक अस्पताल में भर्ती है और उसके भारत प्रत्यर्पण की कानूनी प्रक्रिया चल रही है। मेहुल चोकसी को एक अन्य कैरेबियाई देश ऐंटीगा ऐंड बारबुडा की नागरिकता प्राप्त है जहां वह अपनी गर्लफ्रेंड बबारा जराबिका के साथ ऐश कर रहा था। ऐंटीगा और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन के मुताबिक चोकसी अपनी गर्लफ्रेंड (Babara Jarabica) को डिनर कराने या 'अच्छा वक्त' बिताने यॉट के जरिए पड़ोसी देश डोमिनिका गया था और वहीं पर पकड़ा गया है। मेहुल के पकड़े जाने के बाद अब उसकी गर्लफ्रेड बबारा जराबिका भी लापता हो गई है। आइए जानते हैं कौन है मेहुल चोकसी की रहस्यमय गर्लफेंड बबारा जराबिका....




ब्रह्मांड का 27% हिस्सा डार्क मैटर से बना है। यह हमें दिखता नहीं और आज तक इसे समझा भी नहीं जा सका है। फिर भी इसकी मौजूदगी साबित करने के लिए इसका असर ही काफी है। यह इतना शक्तिशाली होता है कि गैलेक्सीज तक को मोड़ सकता है। अब वैज्ञानिकों ने डार्क मैटर का सबसे बड़ा मैप तैयार किया है। दिलचस्प बात यह है कि इस मैप से ऐल्बर्ट आइंस्टाइन की सबसे मशहूर थिअरी ऑफ रिलेटिविटी (Theory of Relativity) पर कुछ हद तक सवाल खड़ा होता दिखा है।


